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ज्योतिष अक्सर रत्न पहनने की सलाह क्यों देते हैं



ज्योतिष अक्सर रत्न पहनने की सलाह क्यों  देते हैं

ज्योतिष अक्सर रत्न पहनने की सलाह क्यों  देते हैंज्योतिष अक्सर रत्न पहनने की सलाह देते हैं . लेकिन रत्न विज्ञान में प्रत्येक रत्न के धारण करने के लिए एक निश्चित माप तय किया गया है . अतः निश्चित माप का रत्न धारण करना ही लाभप्रद होता है , उससे कम या अधिक का नहीं . रत्नों का सकारात्मक प्रभाव पाना है तो जानिए रत्न धारण करने के ये सही माप व सही समय . . . । 


माणिक्य ( सूर्य रत्न ) यह जितना बड़ा धारण किया जाए , उतना ही उत्तम होता है . 3 रत्ती से कम वजन का माणिक्य धारण करना निष्क्रिय होता है तथा माणिक्य जडे जाने वाली सोने की अंगूठी का वजन 5 रत्ती से कम नहीं होना चाहिए . माणिक्य का प्रभाव अंगूठी में जड़ाने के समय से 4 वर्षों तक रहता है , तदुपरांत दूसरी माणिक्य जड़वाना चाहिए .  

मोती ( चन्द्र रत्न ) अंगूठी में धारण करने के लिए  4 रत्ती का श्रेष्ठ मोती लेना चाहिए . इसके लिए अंगूठी भी सोने या चांदी की होनी चाहिए . अन्य धातु की नहीं , अन्य धातु की अंगूठी होने से लाभ के बदले हानि होने लगती है . चांदी की अंगूठी का वजन भी 4 रत्ती से कम नहीं होना  चाहिए .


माणिक : असली माणिक को कमल की कली पर रखेंगे तो वह थोड़ी देर में खिल उठता है . इसके अलावा कांच के बर्तन में रखने पर यह लाल रंग में दिखता है .

मोती : मोती को तर्जनी से पकड़ने पर वह कुछ ही देर में गर्म हो जाएगा . वहीं मोती को पानी में डालने पर उसमें किरणें दिखाई देती हैं .

मूंगा : असली मूंगा शीशे पर घिसने पर आवाज नहीं करता है . असली मूगे पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड की बूंदे डालने पर झाग बनता है .


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ज्योतिष अक्सर रत्न पहनने की सलाह क्यों देते हैं ज्योतिष अक्सर रत्न पहनने की सलाह क्यों  देते हैं Reviewed by Daily Wisdom on April 23, 2019 Rating: 5
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