America Chin main trade war Achanak aur Gehra ho gaya hai
America
China Trade War
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America Chin main trade war Achanak aur Gehra ho gaya hai
ट्रेड वॉर 2019 आने वाले साल में
दुनिया की इकोनॉमिक्स किस तरफ बढ़ेगी इंपैक्ट क्या क्या होंगे यह सब जानेंगे इस
आर्टिकल में अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा तो इसे शेयर कर दीजिए.
यूएसए ट्रेड वार शुरू करने की कोशिश क्यों कर रहा है
इससे यूएसए को क्या बेनिफिट होने वाले हैं ट्रेड वॉर में
टैरिफ क्यों कम किए जाते हैं और क्यों बढ़ाए जाते हैं बढ़ाए जाते हैं या फिर क्यों
कम किए जाते हैं.
डब्ल्यूटीओ के डायरेक्टर ने यह बताया है ट्रंप की जो
नीतियां है ट्रेड वर को लेकर उसे बहुत ही गहरी उससे आर्थिक मंदी आ सकती है. और इस सबका इंडिया पर
क्या इंपैक्ट होने वाला है.
बहुत ही बेसिक क्वेश्चन से स्टार्ट करते हैं. कि आखिर ट्रेड वॉर होता क्या है और इस क्यों लागू किया
जाता है.
ट्रेड वर खूबी क्या है. आपने न्यूज़ में सुना होगा आर्टिकल में पड़ा होगा. ट्रेड वॉर पोटेशन रिजल्ट हो
सकता है. एक नतीजा हो सकता है. सरक्षणवादी
आर्थिक नीतियों का नतीजा हो सकता है.
ट्रेड वॉर शुरू कैसी हो सकती है. अगर समझे इंडिया इंडोनेशिया का अगर आपस में ट्रेड चालू है. इंडोनेशिया के
पास बहुत ही बढ़िया कंपनी है. उनके पास
प्राइवेट सेक्टर बहुत बढ़िया है. और उनकी कंपनियां
बहुत ही इफेक्टिव है. और वह भी सस्ते कीमत पर
स्टील प्रोड्यूस करती है. और वह इंडिया को
एक्सपोर्ट करता है.
हमारे यहां पर डोमेस्टिक कंपनी है जो इंडोनेशिया की
कंपनी के खिलाफ compit नहीं कर पाती. जब मार्केट में इंडियन कंपनी का स्टील जाता है.
और वह 100 रुपया महंगा होता
है. और इंडोनेशिया का स्टील सत्ता और एक
ही क्वालिटी का है तो मार्केट में इंडोनेशिया की
स्टील की डिमांड बढ़ जाती है. और इंडियन कंपनी को नुकसान होना शुरू हो जाएगा. और नतीजा क्या होगा इंडिया की फैक्ट्री बंद पड़ने लगेंगी. लोगों का रोजगार छिन जाएगा.
और जब लोगों का रोजगार खेलेगा तो लोग सरकार की तरफ देखेंगे
कि हमारा रोजगार कहां है.
अब इस सब को ठीक करने के लिए. इंडियन गवर्नमेंट के पास ऑप्शन है. कि वह सुरक्षा वाद की तरफ बढ़ सकते हैं. इंडोनेशिया का जो स्टील हमारी तरफ आएगा हेवी टैक्स लगा
देंगे. और इसे अब ऑटोमेटिकली कम हो जाएगा. समझे अगर इंडोनेशिया का ₹500 था उसपर हमने ₹200 का टैक्स लगा दिया और इंडिया का ₹400 होगा तो ऑटोमेटिकली हमारा स्टील मार्केट
में चलेगा.
और ठीक इसका उल्टा इंडोनेशिया अभी अपने कंट्री में
इंडियन प्रोडक्ट पर हेवी टेक्स लगा देना और इस तरह से
ट्रेड वॉर की शुरुआत हो जाती है.
और इसका नतीजा क्या होता है यह ट्रेड वॉर धीरे धीरे पूरी दुनिया में फैल जाता है.
और यहां पर आप टेरिफ क्या होता है यह भी जान लो. तेरी बेसिकली
टेक्स होता है जहां एक ड्यूटी होती है जॉब गवर्नमेंट लेस करती है किसी इंपोर्टेड गुड पर.
और इससे विदेशी प्रोडक्ट होते हैं ज्यादा महंगे हो
जाते हैं. ऑटोमेटिकली कस्टमर को एकदम खरीदने लगते हैं और इसका
फायदा डोमेस्टिक रिटेलर को होता है.
और इससे सरकार को भी रेवेन्यू आता है क्योंकि जो वह टैक्स
लगाएंगे जो गुड पे उसे सरकर को डायरेक्ट कमाई होगी.
यूएसए के अध्यक्ष कंपनी यह कहा है कि फॉरेन प्रोडक्ट 25% का टैरिफ लगाएंगे.
स्टील इंपोर्ट पे और 10 पर्सेंट टैक्स लगाएगा एलुमिनियम पे जो गुडस यूएसए में आ रहे हैं. यानी कि जो भी
कंट्री यूएसए में स्टील और एल्यूमीनियम को एक्सपोर्ट करती
है उनपर यूएसए टैरिफ लगाएगा. और यह सब यूएसए अपने
डोमेस्टिक कंपनी को बूस्ट देने के लिए कर रहा है.
लेकिन सवाल यह है कि यूएसए ऐसा कर क्यों रहा है. इसका एक रीजन यह भी हो सकता है कि अमेरिका की डोमेस्टिक कंपनी है उनको
इतना ज्यादा प्रॉफिट नहीं हो पा रहा है. उनकी फैक्ट्री
बंद हो रही है उनका रोजगार जा रहा है.
उसको रोकने के लिए यूएसए मैं उन पर ज्यादा हेवी टैक्स लगा
दिया है. मगर यहां पर और एक भी रीजन है. आने वाले कुछ सालों में यूएसए में इंफ्रास्ट्रक्चर भूत ही बूस्ट होने वाला
है. और वहां की सीटी में आने वाले टाइम में बहुत ही ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर होने वाला है. वहां पर बिल्डिंग बनेगी और बिल्डिंग के लिए स्टील चाहिए. जब वहां पर शहर
बसा जायेंगे. फिर वहां के लोगों को कार्ड चाहिए नए नए गैजेट चाहिए.
कार में स्टील लगता है गैजेट में स्टील
लगता है. आने वाले टाइम में यूएसए में स्टील की डिमांड बहुत ही
ज्यादा बढ़नी वाली है.
तो उस धीमान को कैप्चर करने के लिए. और जो प्रॉफिट है वह किसी वेरियस कंट्री
जैसे कि कैनेडा इंडोनेशिया यूके जर्मनी ना हो. जब भी स्टील की डिमांड बढ़ेगी तो उसका फायदा वैसे को ही हो
इसीलिए ट्रेड वॉर हुआ है.
लेकिन यहां पर एक सवाल और भी है क्या इन सब चीजों से
यूएसए को फायदा होगा यहां पर जवाब हां अभी है और ना
भी है. क्योंकि कुछ
सेक्टर को फायदा होगा या कुछ सेक्टर को नुकसान भी होगा. यहां पर चेंज रिएक्शन का फार्मूला यूज़ होगा. डेफिनेटली अमेरिका की जो स्टील विनियम फैक्ट्री है उनको तो फायदा होगा. वहां पर उनकी डिमांड तो बढ़ जाएंगे.
मगर जो बाकी के सेक्टर है जैसे कि ऑटोमेटिक अल बोइंग
जो एरोप्लेन बनाते हैं उनके लिए यह अच्छी बात नहीं है क्योंकि सर्टेनली अगर कोई
बायर है उसको 1000 में स्टील मिल जाता था उसे वह 1200 में मिल जाएगा. यानी के अमेरिका
की कोई कार बाहर बेचना चाहता है तो उन्हें वह महंगी गिरेगी महंगा
हो गया है. टेंपल के लिए अगर फोर्ड कार महंगी
हो गई है ऑटोमेटिक के लिए उसकी डिमांड कम लोक सस्ते प्रोडक्ट खरीदना पसंद करेंगे. और जैसे कि जापान की कार उनकी कार वह अमेरिका में सस्ते
दामों पर लो खरीदना शुरू कर देंगे.
इसका मतलब यह है कि एक तरफ से आपने प्रॉफिट कमा लिया
और दूसरी तरफ से आप नुकसान उठा रहे हैं. और उससे आपकी जॉब
चली जा रही है. इसीलिए टैरिफ कभी अच्छे नहीं होते. और इसी को ही चेंज रिएक्शन कहते हैं. और इससे ट्रेड वॉर भी शुरू हो सकती है.
पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के
खिलाफ व्यापार असंतुलन पर मोर्चा खोल दिया. उन्होंने बड़ी व्यापारिक जंग का ऐलान
किया. जिसमें चीनी वस्तुओं के आयात पर 60 अरब डॉलर का शुल्क (टैरिफ) लगा
दिया गया. चीन ने जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी वस्तुओं के आयात पर तीन अरब डॉलर का
शुल्क लगाने की घोषणा कर दी. 25 साल के इतिहास में चीन के साथ
अमेरिका की ये सबसे तीखी व्यापारिक तनातनी है. माना जा रहा है कि ये तनाव एक नए
किस्म के वार में बदल सकता है.
ट्रंप ने क्या किया है?
ट्रंप ने पिछले दिनों अमेरिका आने वाले उत्पादों पर टैरिफ
बढाने के आदेश पर हस्ताक्षर किए. अमेरिका का मानना है कि पेटेंट को लेकर चीन
लगातार समय सीमा का उल्लंघन कर रहा है. ट्रंप बहुत समय से व्यापार असंतुलन कम करने
की बात कहते रहे हैं. अमेरिका जिन देशों के साथ व्यापार कर रहा है, उसमें चीन के साथ उसका व्यापार असंतुलन सबसे ज्यादा है.
जवाब में चीन ने क्या किया?
चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं के आयात पर नया शुल्क लगा दिया.
जिससे चीन से अमेरिका आने वाली वस्तुओं पर तीन अरब डॉलर शुल्क लगाया जाएगा. चीन ने
ट्रंप के एेलान को एक पक्षीय व संरक्षणवादी बताया. चीन के वाणिज्यमंत्री ने कहा कि
अमेरिका ने बहुत बुरी मिसाल कायम की है.
क्या ये ट्रेड वॉर है?
ट्रेड वॉर को कारोबार के ज़रिए युद्ध कह सकते हैं. किसी
दूसरे युद्ध की तरह इसमें भी एक देश दूसरे पर हमला करता है. पलटवार के लिए तैयार
रहता है. इसमें हथियारों की जगह करों का इस्तेमाल करके विदेशी सामान को निशाना
बनाया जाता है. ऐसे में जब एक देश दूसरे देश से आने वाले सामान पर टैरिफ़ यानी कर
बढ़ाता है तो दूसरा देश भी इसके जवाब में ऐसा ही करता है और इससे दोनों देशों में
टकराव बढ़ता है. इससे देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होती हैं जिससे दोनों देशों
के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ता है.
इसमें आगे क्या होने वाला है?
फिलहाल दोनों देशों का जो रुख है, उससे वैसा ही लग रहा है. ट्रंप अपने कदम वापस खींचने वाले
नहीं हैं. चीन को इससे बड़ा झटका लगा है. आने वाले समय में इसकी तस्वीर ज्यादा साफ
होगी लेकिन चीन की प्रतिक्रियाओं से जाहिर है उसके रिश्ते अमेरिका से कटु होने जा
रहे हैं. चूंकि चीन अब खुद एक बड़ी महाशक्ति है, लिहाजा दो महाशक्तियों के बीच
तनाव का असर दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ना है. ये ट्रेड वार तब और बढेगा, अगर अमेरिका इसे लेकर दूसरे देशों के खिलाफ भी कुछ ऐसे कदम
उठाता है. लेकिन कई बार इस तरह के कदमों के पीछे का मकसद अपनी शर्तें मनवाना या
सौदा करना होता है.
टैरिफ़ आख़िर क्या है?
टैरिफ़ टैक्स यानी कर का वो रूप होता है जो विदेशों में
बनने वाले सामान पर लगता है. सैद्धांतिक रूप से, विदेशी सामान पर कर बढ़ाने का मतलब
ये होता है कि वह सामान महंगे हो जाएंगे और लोग उन्हें ख़रीदना कम कर देंगे. ऐसा
करने के पीछे मंशा ये होती है कि लोग विदेशी सामान की कमी या उनके दाम ज़्यादा
होने की स्थिति में स्वदेशी सामान ख़रीदेंगे,जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था को
फ़ायदा होता है.
अमेरिका-चीन में व्यापार की स्थिति क्या है?
इन दोनों देशों के बीच व्यापार में अमेरिका का व्यापार घाटा
375.2 बिलियन डॉलर का है.
दूसरे देशों के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे की स्थिति क्या
है?
मैक्सिको -375.2
बिलियन डॉलर
जापान - 68.3 बिलियन डॉलर
जर्मनी - 64.3 बिलियन डॉलर
वियतनाम -38.3 बिलियन डॉलर
आयरलैंड -38.3 बिलियन डॉलर
इटली -31.6 बिलियन डॉलर
मलेशिया -24.6 बिलियन डॉलर
इंडिया -22.9 बिलियन डॉलर
अमेरिकी प्रतिबंध से क्या होगा?
1300
चीनी उत्पाद श्रेणियों पर शुल्क लगेगा. अमेरिकी प्रौद्योगिकी चीन निवेश की
आजादी कम हो जाएगी. व्यापार असंतुलन कम होने में मदद मिलेगी. चीनी सामान महंगा हो
जाएगा तो लोग अमेरिकी कंपनियों के उत्पादों को ज्यादा खरीदना चाहेंगे. ट्रंप का
मानना है कि इससे अमेरिका के उद्योगों को मजबूती मिलेगी और हजारों नौकरियां सृजित
होंगी.
क्या इससे अमेरिका को भी नुकसान होगा?
हां, अमेरिका की ग्रामीण
अर्थव्यवस्था पर इसका खासा ज्यादा नकारात्मक असर पड़ेगा. क्योंकि बड़े पैमाने पर
सोयाबीन का चीन को निर्यात होता है. इसके अलावा अमेरिका से कई तरह के कृषि उत्पाद
चीन जाते थे. 15 सालों से अमेरिकी किसानों की
हालत इससे काफी बेहतर रही है. नए टैरिफ से अमेरिका के सोयाबीन किसान खुद को
मुश्किल में पाएंगे. अमेरिका की बड़ी कंपनियां भी इस कदम पर सकते में हैं. इसका
असर अमेजन, आईबीएम, अमेजन, लेनोवो, वालमार्ट, नाइकी और कई बड़े ब्रांड्स पर
होगा.
अमेरिका के किन उत्पादों पर असर पड़ेगा?
सोयाबीन, सुअर का गोश्त, शराब और बिना जोड़ वाली स्टील पाइप सहित कुल 128 वस्तुओं के आयात शुल्क में छूट को चीन निरस्त करने पर विचार
कर रहा है. काफी बड़े पैमाने पर अमेरिका से फल और अखरोट भी चीन जाते हैं.
क्या ट्रंप का कदम अप्रत्याशित है?
नहीं. चूंकि ट्रंप वर्ष 2015
से ही ये बात कह रहे हैं लिहाजा ये कदम बिल्कुल अप्रत्याशित नहीं है. कोई भी
देश व्यापार असंतुलन को बहुत लंबे समय तक बरकरार नहीं रख सकता. दूसरे इससे भी बड़ी
बात बौद्धिक संपदा के चोरी की है, जिससे अमेरिका की कमाई कहीं
ज्यादा है. अमेरिकी सरकार ने बौद्धिक संपदा चोरी को सात महीने जांच कराई थी.
अमेरिका चीन पर नए निवेश प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है और वह चीन के खिलाफ
विश्व व्यापार संगठन में कार्रवाई करेगा.
अमेरिका ने अगर ऐसा दूसरे देशों के साथ किया तो?
- अमेरिका ने 1930 में ऐसा ही किया था. अपनी टैरिफ उसने बढ़ा दी थीं. उसके
चलते दुनियाभर में मंदी आ गई थी. इसलिए अामतौर पर लोग इसे अमेरिका की बड़ी गलती के
रूप में भी देख रहे हैं.
फिलहाल क्या स्थिति है?
दुनिया के सभी बड़े बाजारों में भूचाल आया है. व्यापारिक
जंग की तमाम आशंकाओं के चलते शेयर बाजार टूट रहे हैं.
संरक्षणवाद क्या है?
जब सरकार अपने देश के उद्योगों को बढ़ाने के लिए विदेशी
सामानों पर कई तरह की पाबंदियां लगाती हैं तो सरकार के इस क़दम को संरक्षणवाद कहते
हैं.
Trade war
2019 Aane Wale saal Mein Duniya Ki economy kis Taraf badegi iska impact Kya
Hoga yah sab janenge is article mein Agar aapko article achha Lagta Hai Koi
share kar dijiye.
USA trade war
Shuru karne ki koshish kyu kar raha hai. Ese USA ko kya benefit Milne
wala hai trade war Mein traffic Kya Kaam Kiye Jate Hain aur kyu Banaye Jate
Hain.
WTO ke director
ne kya bataya hai Unity hai Aur Ko Lekar use bahut hi gehri use Arthik Mandi aa
sakti hai. Aur iska sabka impact Bharat Jaisi various country par
bhi ho sakta hai.
Basic se
question start Karte Hain. Ki Aakhir trade war Hota kya hai
aur ise kyu Lagu Kiya jata hai. Aur iska impact kya hoga.
Trade war Shuru
Kaisi hoti hai Agar Samjho India aur Asma trade chalu hai India Indonesia
ke paas bahut hi badiya Company hai unke Pradesh private sector bhi bahut
badiya hai.
Unki company
bahut hi effective hai aur vah beast kimat par Steel produce karta
hai. Aur Wahan India ko export Karta Hai Hamare Yahan Par domestic
Company hai jo Indonesia ki company ke khilaf compit nahi kar
pati.
Jab market Mein
Indian company ka Steel jata hai aur vah sau rupaya mahanga ho jata hai aur
Indonesia casting Sasta aur HD quality ka hota hai to market Mein Indonesia ka
Steel ki demand badh Jati Hai. Aur Indian company Kaun Insaan Hona shuru
ho jata hai.
Aur iska natija
Kya Hoga Indian factory band padne Lagi. Logo ka Rojgar chin
Jayega aur jab logo ka Rojgar Chala Jayega To Log Sarkar ki taraf
Dekhenge ki Hamara Rojgar kaha hai.
Abhi Sab Ko thik
karne ke liye Indian government ke paas option hai ki wo Suraksha baat ki taraf
word sakte hain Indonesia ka jo Steel Hamari Taraf aayega uska wo heavy tax
Laga dega.
Aur theek iska
ulta hoyega Indonesia Apne country Mein Indian product par dengue jisse Indian
goods Indonesia Mein Rahenge ho jayenge Is Tarah Se trade aur shuru ho jata
hai.
America aur
Cheen ke beech Pichle dino se Jaari trade aur Aur Bhi Gehra ho gaya hai
Rashtrapati Achanak 200 Arab dollar ke Chini utpadan par pratishat Se Bada kar
percent Karne Ka Faisla Jari Kiya Hai.
Is Khesari ko
Chin ke liye Bada thakamana ja raha hai. Duniya ki 2 Badi arthvyavastha
ke bich tradeworth Khatarnak Par pahuchne Se visheshagya Bharat par abhi iska
Prabhav pad sakta hai.
Beach trade war
se vaishvik arthvyavastha maraniki Akanksha bhi Jati ja rahi hai.
Visheshyog ne
kaha ki America aur Chin Vyapar samjhota ke bilkul Kareeb the batchit ka Daur
chal raha tha par Chini shode Bazi Par Utar Aaya Jise Hum Sach nirnay Lena Pada
unhone kaha ki Chin Ko Bakshi khana zaroori tha is Beach Chennai kaha ki
trade war durbhagyapurn hai America dwara shulk ka Bada Na Kisi samasya Ka Hal
nahi hai Puri Duniya Ke Liye nuksan Hai vistar se prapt Jankari Ke anusar
Duniya Ke do shirsh arthvyavastha America aur Chin ke bich
Gari Vyapar vivaad aur Gehra ho gaya hai.
America ke
Rashtrapati Donald Trump Ne Cheen se aane wale 200 Arab dollar ke vibhinn
Prakar ki Vastu par aayat Shukla ki dar bada kar Dhai
Guna karne ki Ghoshna ki hai.
Shram prashasan
ki or se Yaha Kadam Aise Aise Samay uthaya Gaya Hai Jab Dono pakshiyon Ke
Shiksha Adhikari Vashi Washington Mein Vyapar Karke Bechne ki koshish kar rahe
hain.
America ki Sangi
panjika ke Ek notice ke anusar Jinse America Ko Aane Wale utpadan par
Bada shulk Shukrawar se Lagu hoga.
Game anusar ab
ameriki company ko Jinse Apne Desh Mein Mal laane ke liye 25 percent ka shulk
Dena hoga.
America Ne
Pichle saal Chennai wali machli handbags kapde aur joote chappal Jaisi
200 Arab dollar Pado par aaya Shukla Shukrawar se 10 Se Badhkar 25
percent kar diya hai.
Byan mein kaha
gaya hai ki hum Umeed hey America Humse baatcheet Karega Apache
Sahyog aur vichar vimarsh se is mudde ko call kar Payenge.
Jinke Shirish
Vyapar vartakar Up Pradhan Mantri take Chini Pratinidhi Mandal
guruwar ko Yahan vyapari Varta ke Ek Aur door ki batchit ke liye pohvha
hai.
Kya marna hai ki
Shukla Bada Na Kisi samasya Ka Samadhan nahi hai aur ya sirf Chin aur America
ke liye nahi balki Puri Duniya Ke Liye nuksan Deh hey.
America Chin main trade war Achanak aur Gehra ho gaya hai
Reviewed by Daily Wisdom
on
May 12, 2019
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