Project blue moon mission hindi
Project blue moon mission hindi |
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Hello Dosto aapka swagat Hai daily wisdom mein Aaj Hum Baat Karne Wale Hain Project Blue Moon ke bare mein Project Blue Moon kya hai Aaj Uske bare mein hum detail Mein Jayenge to shuru Karte Hain. Project blue moon mission. Agar aapko article pasand aaya to share jarur kar dena.
प्रोजेक्ट ब्लू मून Project Blue Moon इतना इंपोर्टेंट क्यों है नासा का जो यह मून मिशन है उसको हेल्प करेगा यह जो ब्लू मून मिशन Project Blue Moon है यह किस कंपनी का है तो रिसेंटली अमेरिकन बिलेनियर जैफ बेजॉस जो हेड करते हैं मल्टीनेशनल जायंट कंपनी एक तो है अमेजॉन और दूसरी है स्पेस कंपनी ब्लू ओरिजन जैसे इलोन मस्क की कंपनी है स्पेस एक्स उसी तरह जेफ बेजोस कंपनी है.
मगर जैफ बेजॉस बहुत ही रिसोर्सफुल है. तो इन्होंने रिसेंटली अनाउंस किया है किए लूनर लेंडर भेजेंगे चंद्रमा की सतह पर जो अपने साथ बहुत ही इंपॉर्टेंट इक्विपमेंट और हो सकता है इवेंट चिली आने वाले टाइम में ह्यूमन को भी लेकर जाए इनका जो टारगेट है साउथ पोल में मुनका वहां पर लूनर लेंडर को लेकर जाएंगे.
अब ऐसे मिशन पिछले दो-तीन सालों में बहुत ही अनाउंस हुए हैं लेकिन जेफ बेजोस कॉन्फ्रेंस में जाकर कहते हैं मास पर लेकर जाएंगे और मून पर भी लेकर जाएंगे. मगर जेफ बेजोस पिछले 3 साल से इस सीक्रेट मिशन पर काम कर रहे थे. फाइनली अब यह तैयार हो चुका है इन्होंने एक टारगेट सेट कर लिया है कि 2024 तक हम चंद्रमा पर अपना लूनर लेंडर भेज देंगे.
यह जो लूनर लेंडर होगा बहुत ही बड़ा अपने आप में एक लेंडर है और इसका नाम है ब्लू मून मिशन Blue Moon मिशन लेंडर अपने आप में मूव नहीं करेगा लेंडर को इसको बस रॉकेट के जरिए चंद्रमा की सतह पर छोड़ा जाएगा. इस लूनर लेंडर के अंदर मशीनरी होगी जैसे कि चंद्रमा पर जो भी पानी है जिससे हम हैड्रोजन एक्सट्रैक्ट कर सके.
आपके मन में सवाल होगा कि हम यहां पर है हाइड्रोजन को एक्सट्रैक्ट क्यू करेंगे देखिए यह आज के टाइम में मून के जो पोल से नॉर्थ पोल और साउथ पोल उस पर पानी मिलेगा ऐसा नहीं कि वहां पर लिक्विड सोच में पानी है वहां पर आपको आइस मिलेगी इस आइस को आप पिक्चर में देखते हैं वैसे नहीं है वहां पर जो मिट्टी है वहां पर आपको बहुत ही छोटे मॉलिक्यूल मिलेंगे और उसे आप एक्सट्रैक्ट कर सकते हो.
अगर आपके पास प्रॉपर इक्विपमेंट हो आप इसे आसानी से कर सकते हो तो आप मून की सतह पर पानी प्रोड्यूस कर सकते हो. मगर यहां पर सिर्फ से पानी को एक्सट्रैक्ट करने की नहीं है. अगर आपको चंद्रमा पर पानी मिल भी गया वह आपके बहुत ज्यादा काम नहीं आने वाला है. पानी में हाइड्रोजन होता है हाइड्रोजन को यूज किया जा सकता है एज ऑफ फ्यूल की तरह आइडिया यहां पर यह है.
यह जो ब्लू मून मिशन Blue Moon Mission है यह जो मून पर साइंटिफिक तरीके से एक बेस का काम करेगा यह यहां पर एक बेस की तरह रहेगा. यहां से 1 लोवर निकलेगा. वह Moon के सत्ता पर चलेगा और वहां से वह मिट्टी इकट्ठा करे गा यह मिट्टी वापस लेंडर के अंदर जाएंगे जहां पर इनके पास फैसिलिटी है जिसे उस मिट्टी से हाइड्रोजन एक्सट्रेक्ट कर सके और उसकी एनर्जी भी क्रिएट कर सके. और यह डेवलपमेंट कर रहे हैं 2024 तक यह इसे पॉसिबल बना सकते हैं.
एक सवाल आता है कि इस लैंडर में इंसान हो सकते हैं या नहीं अभी तक तो इस लैंडर में इंसान नहीं हो सकते लेकिन आने वाले टाइम में हो सके तो यह इंसान भी भेज सकेंगे. मगर सेंस यहां पर ह्यूमन नहीं होंगे यह सिर्फ एनर्जी एक्सट्रेक्ट करने के लिए बनाया जा रहा है.
लेकिन इसे करके यह क्या हासिल करना चाहते हैं इनका अल्टीमेट गोल यह है कि USA गवर्नमेंट को एसएस करना जैफ बेजॉस यह है कहां है यूएस गवर्नमेंट ऑफिशल यह कहां है के अमेरिका वापस चंद्रमा पे एस्ट्रोनॉट को भेजेगा 2024 तक तो उसी के ईयर के आसपास वह चाहते हैं कि उनका बेस वहां पर रेडी रहे. ताकि उन एस्ट्रोनॉट के हेल्प हो सके.
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उन एस्ट्रोनॉट के लिए बेस पर फ्यूल अवेलेबल हो और सिर्फ ऐसा नहीं है कि 2024 तक और उसके बाद भी कई साल बाद भी मून पर एक बेस होना चाहिए जहां पर एक लोवर हो. वहां पर एक इंसानों की रहने की जगह हो बहुत अच्छे फैसिलिटी हो और मोर इंर्पोटेंटली वहां पर आप एनर्जी एक्सट्रैक्ट कर सको.
अगर आप व्हाइट हाउस का ऑफिशल डॉक्यूमेंट देखे हैं तो इसमें साफ मेंशन किया है जो वहां पर उनके प्रेसिडेंट है डोनाल्ड ट्रंप यह फिर से 2024 में इसके पहले से काफी बार एस्ट्रोनॉट को चंद्रमा ले गया है टोटल इन्होंने 12 एस्ट्रोनॉट को चंद्रमा के सतह पर पहुंचाया है. तो यह फिर से यह करना चाहते हैं
अभी नासा इस बेस को लेकर काफी नर्वस है. के जो साइंटिस्ट है. कहां है कि 2028 तक हमको टाइम मिलेगा अब उनको भी स्पीड अप करना होगा और 2024 तक के एयरप्लेन कंप्लीट करना होगा. लेकिन प्राइवेट कंपनी यहां पर एक अपॉर्चुनिटी देख रही है. कि जिस तरीके से अमेरिकन गवर्नमेंट ने के मून को यह कॉल ए नाइस करेंगे जो इस बार अमेरिकन मून पर जाएंगे. तो बस ऐसा नहीं है कि वह बस मून पर कुछ सैंपल इकट्ठा करेंगे और और धरती पर वापस आ जाएंगे. इस बार अमेरिका का प्लेन यह है कि मून पर एक बेस बनाएंगे इसलिए नासा उनके साथ बहुत ज्यादा इक्विपमेंट लेकर जाएंगे एस्ट्रोनॉट वहां पर कुछ इंस्टॉल करेंगे अमेजॉन के जो चीफ है जैफ बेजॉस उसी तरह कॉलोनाइज का प्रोसेस है उसमें गवर्नमेंट की हेल्प करना चाहते हैं.
मगर जो मून में लैंड की एलिगेशन होगी जो मून में जिस तरीके से रिसोर्स इसको एक्सट्रैक्ट किया जाएगा उसमें उनकी प्राइवेट कंपनी का भी स्टेक होंगा. यह कंपनी 2028 तक ह्यूमन को चंद्रमा पर रहने सके.
लेकिन एक क्वेश्चन सामने आता है कि हम मून पर रहेंगे. क्या यह सब रहने के लिए कर रहे हैं आइडिया क्या है मून पर बेस क्यू बनाना चाहेंगे. जो इसका लॉन्ग टर्म प्लान है वह बहुत ही बड़ा जायंट है.
देखो आईडिया यह है मून पर एक ऐसा बेस बने जहां पर हम लॉन्च कर सकते हैं सेटेलाइट सीधे मंगल ग्रह पर कोई काफी अच्छा एक आइडिया है. और काफी हद तक यह लॉजिकल भी है.
क्योंकि मून से लांच करना काफी आसान है फ्रॉम धरती से अगर आपको मून से लॉन्च करना है आपको 10 टाइम लो एक्सपेंसिव होगा 10 टाइम लेस रिसोर्सेस यूज होंगे.
अल्टीमेटली एयरप्लेन है कि यह एक मून पर बेस इस्टैबलिश करेंगे. जो कि उनके आनेवाले फ्यूचर मिशन है जैसे कि मांस उनमें यह काफी हद तक मदद करेगा. और उसको पावर देगा.
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Blue Moon is a robotic space cargo carrier and lander for making cargo deliveries to the Moon. Designed and operated by Blue Origin for use on a mission aimed for 2024, Blue Moon derives from the vertical landing technology used in Blue Origin's New Shepard sub-orbital rocket.
The lander is planned to be capable of delivering 4,500 kg (9,900 lb) to the surface of the Moon.The cargo vehicle could also be used to support NASA activities in cis-lunar space,or transport payloads of ice from Shackleton Crater to support space activities.[7] The first projected mission for the craft would be a 2024 lunar south pole landing. It is proposed that a series of landings could be used to deliver the infrastructure for a Moon base.
Blue Origin began development work on the lander in 2016, publicly disclosed the project in 2017, and unveiled a mock up of the Blue Moon lander in May 2019.
History
Design work on the lander began in 2016. The lander platform was first publicly revealed in March 2017, with a lunar-surface-delivered payload capacity of 4,500 kg (10,000 lb)[1] at which time the first lunar landing mission was projected for 2020.
Blue Origin's president Rob Myerson said in 2017 that the lander could be launched with multiple launch vehicles including Blue Origin's New Glenn, or the United Launch AllianceAtlas V, or even be modified to launch on NASA's Space Launch System (SLS) rocket.[6][1] and next-generation Vulcan launch vehicle.
In a May 2018 interview, Blue Origin's CEO Jeff Bezos indicated that Blue Origin would build Blue Moon on its own, with private funding, but that they would build it a lot faster if it were done in a partnership with existing government space agencies. Bezos mentioned the December 2017 directive of the Trump Administration to steer NASA to include a lunar mission on the pathway to other beyond Earth orbit (BEO) destinations, and also his support for the Moon Village concept, "a proposal promoted by European Space Agency head Jan Woerner for cooperation among countries and companies to cooperate ... on lunar capabilities."
In May 2019, Blue unveiled a mockup of the Blue Moon lander at the Washington DC Convention Center and released specification details for the autonomous lander that can soft land up to 6.5 tonnes (14,000 lb) on the Moon. The lander will be powered by a new Blue-developed hydrolox rocket engine called the BE-7. In later versions, Blue Moon could be upgraded to carry passengers to the Moon as well.
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Reviewed by Daily Wisdom
on
May 13, 2019
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