समझे विवाह पूर्व गुण मिलान के महत्व और उसके लाभ को
समझे विवाह पूर्व गुण मिलान के महत्व और उसके लाभ को |
यदि योग्य ओर अनुभवी विद्वान ज्योतिर्विद कन्या की षोडशवर्गीय कुंडली को सूक्ष्मता से देख ले तो ससुराल की समस्त जानकारी पूर्व में ही जान सकता है . कन्या का विवाह के लिए वर - वधू की कुंडली का गुण मिलान करते हैं . किंतु इसके पूर्व उन्हें यह देखना चाहिए कि लड़की का विवाह किस उम्र में , किस दिशा में तथा कैसे घर में होगा ? उसका पति किस स्वभाव का , किस सामाजिक स्तर का तथा कितने भाई - बहनों वाला होगा ? लड़की की जन्म कुंडली से उसके होने वाले पति एवं ससुराल के विषय में सब कुछ स्पष्टतः पता चल सकता है . वैदिक ज्योतिष शास्त्र के सूत्रों के अनुसार लड़की की जन्म कुंडली में लग्न से सप्तम भाव उसके जीवन , पति , दाम्पत्य जीवन तथा वैवाहिक संबंधों का भाव है इस भाव से उसके होने वाले पति का कद रंग , रूप , चरित्र , स्वभाव , आर्थिक स्थिति , व्यवसाय या कार्यक्षेत्र , परिवार से संबंध आदि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है . किसी भी कन्या की जन्म कुंडली के वतीय और नवम भाव के आधार पर देवर , जेठ , ननदों का ब्योरा , स्वभाव आदि की जानकारी मिल सकती हैं . दशम भाव से सासूजी , चतुर्थ भाव से ससुर , एवं अष्टम भाव से उनके कुटुंब परिवार की स्थिति और स्वभाव को जाना जा सकता है .
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समझे विवाह पूर्व गुण मिलान के महत्व और उसके लाभ को
Reviewed by Daily Wisdom
on
April 17, 2019
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